नमन
नमन
नमन करता रहूं सर्वदा, प्रथम चरण कमल तुम्हारे।
नमन करता उस पावन तीर्थ को, पड़ें जहां- जहां पग तुम्हारे।।
कृपा बनी रहे हम सब पर, हे ! परम भागवत के दुलारे।
नर रूप में नारायण बनकर, स्मृति भवन में हो पधारे।।
कृपा दृष्टि पाने को आतुर, पड़े हैं सरन तुम्हारे।
अंधकार-मय जीवन मुश्किल, तुम ही हो एक सहारे।।
मिल सकूँ तुम में जिस दिन, अहोभाग्य हो हमारे।
सुंदर- सुखद तब होगा जीवन, तुम हो प्रीतम प्यारे।।
पार लगा दो इस अधम को भी, कृपासिंधु बन हमारे।
"नीरज" करता वंदन-अभिनंदन, याचक बन पुकारे।।