नज़रों से दूर
नज़रों से दूर
खुशबू की तरह समाई तू ज़िंदगी में, तुझे चाहने को दिल मजबूर है,
वक़्त का तकाज़ा है या किस्मत का खेल, तू आज नज़रों से दूर है,
महसूस कर सकता हूंँ मैं तेरी हर खुशी, तेरे हर ग़म की आहट को,
तू मेरी ज़िन्दगी में नहीं शामिल, ये तो मेरी किस्मत का ही कसूर है।
मेरे ख़्वाबों की तस्वीर है तू, तेरे सिवा आता है और कोई ख्याल नहीं,
तेरी मोहब्बत की लौ से ही रोशन हूंँ मैं, तू तो मेरी ज़िन्दगी का नूर है।
इतनी मासूम तू कि जान कर कभी किसी का दिल दुखा नहीं सकती
जानता है ये दिल तुझे, रही होगी तेरी कोई मजबूरी इसमें ज़रूर है।
लौट कर आएगी तू एक दिन, इसी उम्मीद में कर रहा हूं तेरा इंतजार,
तेरा एहसास ही इस बात का गवाह, कि इश्क़ तेरा नहीं मगरूर है।