नजर
नजर
नजर उसकी पहली नया कर रही है
मुझी से, मुझी को जुदा कर रही है।
बताऊँ भला किस तरह से उसे यह
मेरे दिल में बसकर सदा कर रही है।
ये जमाना भला क्या बिगड़ेगा मेरा
कुशलता की वो तो दुआ कर रही है।
लुटाने को सब कुछ वो तैयार बैठी
वफ़ा का यूँ हक वो अदा कर रही है।
दुआओ में अपनी मेरा नाम रखकर
ऋषभ इस तरह से वफ़ा कर रही है।