नज़्म
नज़्म
नैंनों की शौख़ीयाँ कम्माल कर गई
होंठों की कलियाँ धम्माल कर गई
दिल की देहरी पर दस्तक तू देकर
दीदार की ख़्वाहिश हज़ार भर गई
हंसती ना जो तू कातिल अंदाज़ से
खनक हंसी की दिल में उतर गई
इठलाती बलखाती झुमती तू गुज़री
अदाओं की छुरी दिल को कुतर गई
गगरी ये प्यार भरी तुझ पर उडेल दूँ
दिल की शाखों से कलियाँ बिखर गई
साँसों की खुशबू बहती हवाओं संग
सननन बहती मेरी रूह को छूकर गई
रख दिया दिल तेरे कदमों की नोक पर
चुप थी ये धड़कन खुलकर मुखर गई।