नज्म
नज्म
मुझे मेरे ख्वाबों और ख्यालों की दुनिया मे रहने दो
मुझे अरश के सितारों के साथ बतियाने दो
कोई है जो मेरे रहते ताजमहल बना रहा है
अब ताजमहल बन चुका है
मुझे उसे चाँदनी रात में निहारने दो
गुल ही गुल बिखरे पड़े है मेरे चमन में
मुझे अब गुले-ए-गुलज़ार होने दो
दिल शाद है किसी की मजबूत पनाहों में
अब साथ मिला है तो खुलकर रोने दो
मत घसीटों हकीकतों के इम्तिहान में
नहीं लगता दिल अपने ही दयार में
जिंदगी में कुछ ऐसी ही आजमाइशे है
मौसम खराब है बादल है बरसाते है
शब अंधेरी है सहर का इंतजार नहीं होता
जो महबूब रफी़क से रकीब बन गया
उससे अब इश्क-ए-इजहार नहीं होता
इस खुदगरज दुनिया से दूरिया बनाने दो
मुझे मेरे ख्वाबों और ख्यालों की दुनिया मे रहने दो।