निवेदन
निवेदन
कभी -कभी,
अपनी शिष्टता
को भूल,
मर्यादा को
लाँघ जाते हैं !
अपनी आहत,
भरी बातों से,
लोंगों का दिल
दुखाते हैं !
आप यह नहीं
भूलें कि आपके
विषाक्त,
टिप्पणिओं से,
वे लोग
आहत होते हैं !
आपके मधुर
बोलों पर ही,
लोग आपके
पीछे चलते हैं !
विचारों का मेल,
ना हो तो,
उसे नजर
अंदाज कर दें !
बात फिर भी,
ना बने तो,
शिष्टता से
अपनी बात रख दें !
देखना है गौर से,
हम किसे
क्या लिख रहें हैं ?
कौन अपने
वर्ग का है,
किसको हम
कुछ कह रहे हैं ?
मित्रता में
बात सबकी
जब हम सुनेंगे !
प्यार से ही
प्यार को
हम जीत लेंगे !
