निष्काम ही मेरी साधना
निष्काम ही मेरी साधना
ना कोई मेरी मंत्र पूजा
ना कोई मूर्ति याचना
सन्कल्प की बाती बनाती
दीपक जलाती कर्म का
ह्रदय को तपोवन बनाती
निष्काम ही मेरी साधना
आत्मबल का जल चढाती
सत्कर्म ही मेरी आराधना
ढोक देती आत्मा को
नमन करती चेतना को
आत्मचिंतन मेरी आरती
आत्मसात ही मेरी वन्दना
फेरती कर्म पथ की माला को
ज्ञान ज्योति ही मेरी प्रेरणा
तिलक करती सत्य का
शंखनाद नव सृजन का
भजन करती संयम धीर का
मानवता ही मेरी अर्चना
पुष्प अर्पित करती विनम्रता के
परसेवा ही मेरी प्रार्थना
ना कोई मेरी मंत्र पूजा
ना ही कोई मूर्ति याचना।
