निसर्ग
निसर्ग
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माटी में मिलती जब
बरसात की फुहार।
कण कण से बिखेरती
सौंधी खुशबू अपार।।
फूल पत्ते फल देकर तरुवर
प्रकृति को संजोता है
धरोहर यह मातृ धरा की
धरती के कण से जीता है
किताबों ने बताया हमको
पशु पक्षी पेड़ लगाते हैं
वन उपवन की झुरमुट से
धरा को धानी चोला ओढ़ाते हैं
यही वृक्ष की छाया में
विश्राम वहीं जब पाते हैं
वृक्षारोपण कर के
कर्ज तरु का चुकाते हैं
दवाई, खाद्य ईंधन मिलता
वृक्षो से मिलती जिन्दगानी
फिर भी स्वार्थ वश काटता
मनुज की कल्पना निराली
आओ पर्यावरण दिन पर
संकल्प मन में लाए
एक वृक्ष धरा पर
लगा कर चैन पाए।
धरा को निसर्ग का
दे हम उपहार।
हरियाली फैलाकर
प्रकृति से करें प्यार।।