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अभिषेक योगी रौंसी

Crime

4.5  

अभिषेक योगी रौंसी

Crime

निर्भया

निर्भया

3 mins
438


बेटी एक घूमने निकली थी घर से 

दोस्त एक साथ में गया था उसके

दोस्तों के संग वो हंस खेलने लगे 

रात हुई घर को वो लौटने लगे


उधर कुछ जाहिल मदिरापान कर रहे

राक्षसों की तरह नाचे गान कर रहे 

दारू की कमी उनको जब पड़ने लगी

दिल्ली में फिर उनकी बस दौड़ने लगी


उधर बच्चें भी घर के लिए निकल अब चले

साधन बिना पैदल पैदल आगे बढ़ चले

अनजान थे वो आगे क्या होने वाला था 

मौत से भयंकर मातम छाने वाला था


जिस काले रास्ते से थे चले वो जा रहे

उस रास्ते से ही राक्षस भी थे चले आ रहे

चलते-चलते अब थे वो थकने लगे

बस को आता देख थोडा हंसने लगे


उनको चढ़ाने दरिंदों की बस रुक गई 

वहीं से जुल्मी दास्तां शुरू थी हो गई

जैसे ही गाड़ी वहां से थोड़ी आगे बढ़ी

ड्राइवर ने बस की गति तेज बढ़ा दी


दोनों ही अब थोड़े थोड़े घबराने लगे

थे कंडक्टर से बस को वो रुकवाने लगे

थोड़ी देर में मंज़र वहां बदलने वाला था

इंसानियत को गहरा खंजर लगने वाला था


जैसे ही डर के मारे बच्चे चीखने लगे 

राक्षस उन्हें डंडो से फिर पीटने लगे

उनको पीटा इतना कि बेहोश हो गए

फिर भेडिये हवस में मदहोश हो गए


लूटकर भी उनको उनने चैन ना लिया

नियति का सारा नियम पलट दिया

सरियों डंडों से उसपे प्रहार कर दिया 

इंसानियत को कुत्तों ने शर्मसार कर दिया 


जिंदा भी ना छोड़ा और मरने भी ना दिया 

ऐसी हालत करके सड़क पर पटक दिया

तकदीर की मारी लड़की दर्द से चीख रही थी

मूक हो दिल्ली की सड़के सारा तमाशा देख रही थी


आधी रात को फिर ये बवाल मच गया

दिल्ली सहित देश में कोहराम मच गया

सोई हुई दिल्ली थी जगने तब लगी 

कोने कोने में मसाले जलने जब लगी


चारों तरफ ये हाहाकार हो गया 

राजधानी में कैसा ये अत्याचार हो गया

कालिदास वालों के यहां गर्मी बढ़ने लगी 

मीडिया भी प्रशासन के सर पर चढ़ने लगी


बिटिया का था उधर इलाज चल रहा

दोस्त भी उसका अपनी सांसें था गिन रहा

कुछ दिन तो संघर्ष किया फिर निर्भया चली गई

उस दिन से फिर दिल्ली की मर्यादा चली गई


पुलिस वाले दोषियों को जब पकड़ने लगे 

मौत के भय से नाक वो तब रगड़ने लगे

गुनाह तो उनका उनने ही कबूल कर लिया 

फिर क्यों उन्हें बचाने हुमन राइट्स ने वकील कर दिया


मरने के बाद भी अदालत के पलडो़ में निर्भया तुलती रही

वकीलों के सवालों से उसकी लूटी हुई इज्जत हर रोज लुटती रही

गवाह सबूतों के होते भी सालों कानूनी जिरह चलती रही 

निर्भया तो पहले ही मर चुकी पर कोर्ट में हर रोज मरती रही


मरने के बाद भी वो इंसाफ को सालों राहे तकती रही 

पर क्या कहूं कानून को गुनहगारों की हर बार फांसी टलती रही

एक लंबे अरसे के बाद कोर्ट के इंसाफ का आदेश आ गया

निर्भया के समर्थकों को जालिमों की फांसी का संदेश आ गया। 

                  पर


1. दरिंदों ने निर्भया का एक दिन बलात्कार किया लेकिन हमारे 

   देश के कानून और अदालतों की बदौलत निर्भया का सालों 

   तक अदालतों में हर रोज बलात्कार हुआ 

2. क्या निर्भया को जो इंसाफ मिला उससे आप सहमत हैं 

3. क्या एक निर्भया को इंसाफ मिल जाने से देश की सभी 

   निर्भया ओं का इंसाफ हो गया 

4. क्या एक निर्भया के कातिलों को सजा देने से कभी कोई 

   निर्भया नहीं होगी


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