निर्भया
निर्भया
बेटी एक घूमने निकली थी घर से
दोस्त एक साथ में गया था उसके
दोस्तों के संग वो हंस खेलने लगे
रात हुई घर को वो लौटने लगे
उधर कुछ जाहिल मदिरापान कर रहे
राक्षसों की तरह नाचे गान कर रहे
दारू की कमी उनको जब पड़ने लगी
दिल्ली में फिर उनकी बस दौड़ने लगी
उधर बच्चें भी घर के लिए निकल अब चले
साधन बिना पैदल पैदल आगे बढ़ चले
अनजान थे वो आगे क्या होने वाला था
मौत से भयंकर मातम छाने वाला था
जिस काले रास्ते से थे चले वो जा रहे
उस रास्ते से ही राक्षस भी थे चले आ रहे
चलते-चलते अब थे वो थकने लगे
बस को आता देख थोडा हंसने लगे
उनको चढ़ाने दरिंदों की बस रुक गई
वहीं से जुल्मी दास्तां शुरू थी हो गई
जैसे ही गाड़ी वहां से थोड़ी आगे बढ़ी
ड्राइवर ने बस की गति तेज बढ़ा दी
दोनों ही अब थोड़े थोड़े घबराने लगे
थे कंडक्टर से बस को वो रुकवाने लगे
थोड़ी देर में मंज़र वहां बदलने वाला था
इंसानियत को गहरा खंजर लगने वाला था
जैसे ही डर के मारे बच्चे चीखने लगे
राक्षस उन्हें डंडो से फिर पीटने लगे
उनको पीटा इतना कि बेहोश हो गए
फिर भेडिये हवस में मदहोश हो गए
लूटकर भी उनको उनने चैन ना लिया
नियति का सारा नियम पलट दिया
सरियों डंडों से उसपे प्रहार कर दिया
इंसानियत को कुत्तों ने शर्मसार कर दिया
जिंदा भी ना छोड़ा और मरने भी ना दिया
ऐसी हालत करके सड़क पर पटक दिया
तकदीर की मारी लड़की दर्द से चीख रही थी
मूक हो दिल्ली की सड़के सारा तमाशा देख रही थी
आधी रात को फिर ये बवाल मच गया
दिल्ली सहित देश में कोहराम मच गया
सोई हुई दिल्ली थी जगने तब लगी
कोने कोने में मसाले जलने जब लगी
चारों तरफ ये हाहाकार हो गया
राजधानी में कैसा ये अत्याचार हो गया
कालिदास वालों के यहां गर्मी बढ़ने लगी
मीडिया भी प्रशासन के सर पर चढ़ने लगी
बिटिया का था उधर इलाज चल रहा
दोस्त भी उसका अपनी सांसें था गिन रहा
कुछ दिन तो संघर्ष किया फिर निर्भया चली गई
उस दिन से फिर दिल्ली की मर्यादा चली गई
पुलिस वाले दोषियों को जब पकड़ने लगे
मौत के भय से नाक वो तब रगड़ने लगे
गुनाह तो उनका उनने ही कबूल कर लिया
फिर क्यों उन्हें बचाने हुमन राइट्स ने वकील कर दिया
मरने के बाद भी अदालत के पलडो़ में निर्भया तुलती रही
वकीलों के सवालों से उसकी लूटी हुई इज्जत हर रोज लुटती रही
गवाह सबूतों के होते भी सालों कानूनी जिरह चलती रही
निर्भया तो पहले ही मर चुकी पर कोर्ट में हर रोज मरती रही
मरने के बाद भी वो इंसाफ को सालों राहे तकती रही
पर क्या कहूं कानून को गुनहगारों की हर बार फांसी टलती रही
एक लंबे अरसे के बाद कोर्ट के इंसाफ का आदेश आ गया
निर्भया के समर्थकों को जालिमों की फांसी का संदेश आ गया।
पर
1. दरिंदों ने निर्भया का एक दिन बलात्कार किया लेकिन हमारे
देश के कानून और अदालतों की बदौलत निर्भया का सालों
तक अदालतों में हर रोज बलात्कार हुआ
2. क्या निर्भया को जो इंसाफ मिला उससे आप सहमत हैं
3. क्या एक निर्भया को इंसाफ मिल जाने से देश की सभी
निर्भया ओं का इंसाफ हो गया
4. क्या एक निर्भया के कातिलों को सजा देने से कभी कोई
निर्भया नहीं होगी