STORYMIRROR

Shraddha Pandey

Inspirational

4  

Shraddha Pandey

Inspirational

निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली,

निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली,

1 min
318

निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली,

सबकी जुबाँ पे एक ही बोली

फिर से सजेगी रंग की महफिल,

प्यार की धारा बनेगी होली।

होली के औजार कई हैं, जोड़ने वाले तार कई हैं

रंग बिरंगे बादल से होने वाली बौछार कई है

पिचकारी का ज़ोर क्या कम है,

बन्दूक में ही रहने दो गोली

फिर से सजेगी रंग की महफिल,

प्यार की धारा बनेगी गोली।


कब तक रूठे रहोगे तुम,

बोलो कुछ क्यों हो गुमसुम

तुमको रंग लगाने में लगता कट जाएगी दुम

कड़वाहट की कैद से निकलो

अब तो बन जाओ हमजोली

फिर से सजेगी रंग की महफिल,

प्यार की धारा बनेगी होली।


मन में नहीं कपट छल हो,

ऊँचा बहुत मनोबल हो

होली के हर रंग समेटे

दिल पावन गंगाजल हो

अंतर मन भी स्वच्छ हो पूरा,

सूरत अगर है प्यारी भोली

फिर से सजेगी रंग की महफिल,

प्यार की धारा बनेगी होली।

निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली,

सबकी जुबाँ पे एक ही बोली

फिर से सजेगी रंग की महफिल,

प्यार की धारा बनेगी होली।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational