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Shraddha Pandey

Children Stories

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Shraddha Pandey

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घर का बड़ा लड़का

घर का बड़ा लड़का

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हाँ मैं घर का बड़ा लड़का हूँ

उम्र से कुछ ज्यादा बड़ा दिखता हूँ।

थोड़ा समझदार, थोड़ा जिम्मेदार हूँ

शायद इसीलिए सबकी फ़िक्र करता हूँ।

घर में माँ, बाबा, भाई, बहन सब हैं

सबकी परस्ती का ज़िम्मा मुझी पर है

सब मुझी पर है, ये समझ चुका हूँ

इसीलिए घर छोड़ के निकल चुका हूँ।

ज़िद्दी था, नासमझ था

जिम्मेदारियों ने कब समझदार बनाया, 

इससे बेखबर था

याद है मुझे, वो घर से पहली बार निकलना

रास्ता भटकने पर यूँ माँ बाबा को याद करना

बन्द एक कमरे में रो के दिल हल्का करना

हाँ मैं घर का बड़ा लड़का हूँ

उम्र से जरा बड़ा दिखता हूँ।

कुछ सवाल हैं

जिनका खुद ही जवाब दे दिया करता हूँ

खुद से लिपटकर अक्सर यूँ ही रो लिया करता हूँ

ऐशो आराम, खुद के लिए जीना सब भूल चुका हूँ

आखिर घर का बड़ा लड़का हूँ

कुछयूँ ही ज़िन्दगी गुजार लिया करता हूँ।


माँ का वो लाड़ला बेटा

खाना बनाना, कपड़े धोना सब सीख चुका है

क्योंकि अब जिम्मेदार जो बन चुका है

हाँ मैं घर का बड़ा लड़का हूँ

उम्र से कुछ ज्यादा बड़ा दिखता हूँ

थोड़ा समझदार, थोड़ा नादान, थोड़ा जिम्मेदार हूँ।


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