वो बीती यादें
वो बीती यादें
रात में जल्दी सोने का सुबह जल्दी उठने का जी करता है
हाँ मेरा फिर बचपन जीने का दिल करता है
छोटी छोटी चीज़ों से खुश हो उठने का
छोटी छोटी चीज़ों से रूठ जाने का
जी करता है
हाँ मेरा फिर से बचपन जीने का दिल करता हे
वो माँ के हाथों खाना खाने का
वो पापा के पैरों का झूला झूलने का दिल करता है
हाँ मेरा फिर से बचपन जीना का दिल करता है
वो नयी किताबों की खुशबू
वो दिवाली पे नए कपड़ों की आरज़ू
वो दोस्तों का इंतज़ार करने का
वो हर किसी से प्यार करने का
दिल करता हे
अब न वो बुढ़िया के बाल वाला मिलता हैं
ना ही वो बचपन वाला रविवार मिलता है
अब न ही माँ के हाथो का दाल चावल मिलता है
न ही वो दुलार मिलता है
ज़िन्दगी बिना माँ बाप के रहने को मजबूर कर देगी ऐसा सोचा न था
ज़िन्दगी कामयाबी के बदले लम्हें मांग लेगी ऐसा सोचा न था
अब चल तो दिए ही हैं घर छोड़ कर
अब निकल तो पड़े ही हैं अपनों से मुँह मोड़कर
चलो इसी में ज़िन्दगी तलाशते हैं
चलो अपनों के बिना ही एक ज़िन्दगी बनाते हैं !
