निजी हो गए
निजी हो गए
आज उपवन में उनसे मिले तो,
ऐसा लगा कोई अपना मिला हो !
अंखियों से अखियां भी मिल गईं,
कभी अजनबी थे निजी हो गए वो !
लगता है जैसे किसी ने ठगा हो,
मुलाकात करना हद हो गया हो !
वो रूठ जाए तो घबराते हैं हम,
हम रूठ जाएं तो मनाते नहीं वो !
उनके बिना वक्त गुजरता नहीं है,
लगन है ये ऐसी मन ठहरता नहीं है !