नींद
नींद
सितारों के पहलू में चाँद, मचलने को है,
दिन निकला कि सूरज, चलने को है।
इक मुद्दत से न आई नींद, इन आँखों में,
अब आजा कि रात, ढलने को है।
आकर भर ले मुझे, अपनी आगोश में,
छोड़ के न जा कि दम, निकलने को है।
उफ! मखमली बदन की, ये मादक खुशबू,
मेरे रोम रोम में जैसे, घुलने को है।
ये कैसी तपिश, अब महसूस होने लगी,
शमा में परवाना अब, जलने को है।
जिस्म से रूह, निकलने लगी है 'क़ाफिर ',
तेरी साँसों से मेरी साँस, मिलने को है।