STORYMIRROR

रूपेश श्रीवास्तव 'काफ़िर'

Abstract Classics Inspirational

4.0  

रूपेश श्रीवास्तव 'काफ़िर'

Abstract Classics Inspirational

सच

सच

1 min
162


वतन के बदलते हुए हालात लिखता हूँ,

वक्त मिलता है तो दिनरात लिखता हूँ।


उन्हें शिकायत है कि तारीफ नहीं लिखते,

लिखता तो हूँ पर सच बात लिखता हूँ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract