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रूपेश श्रीवास्तव 'काफ़िर'

Abstract

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रूपेश श्रीवास्तव 'काफ़िर'

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किस्मत

किस्मत

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वक्त ने आज फिर मक्कारी की है, 

मेरे अपनों ने मुझसे गद्दारी की है। 

'काफ़िर' यूँही नहीं बदले हैं रंग चेहरों के, 

यकीनन किस्मत ने कलाकारी की है ॥



साहित्याला गुण द्या
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