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Sajida Akram

Inspirational

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Sajida Akram

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"नीलकंठ"

"नीलकंठ"

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चारों ओर की हरियाली को दी है, 

मनुष्य ने तिलांजलि ,

नीलकंठ हो या हो गौरया,या हो, 

हमारे मिट्ठू मियां, या हो लकड़कट्टा, 

या हो बुलबुल या हो फाक़ता ,

या हो कौआ, या हो कोयल,

या हो सौनचिराया, 

हर पक्षी की यही है मुश्किल

घोंसले बनाने के लिए भी तरस गया है|

ये मासूम बेज़ुबान पक्षी ,

जाए तो जाए कहाँ

हर पेड़-पोधों को काट कर, 

बड़े-बड़े फर्नीचर हाऊस बन गए हैं, 

घर के सुन्दर इंटिरियर के लिए,

पेड़ों को बेरहमी से काट दिया है, 

हमारे घर सुन्दर होना चाहिए, 

इन मासूम को चाहे टूटे ठूंठ पर, 

ही बैठना पड़े, ना हो उनका 

बसेरा हम इतने स्वार्थी तो, 

ना थे फिर क्यों इतने, 

बेरहम हो गए कि इनकी, 

परेशानी समझ ना पाएं|

चलो आज लें ये प्रतिज्ञा, 

हम जंगलों को फिर से लगाएं

हम पक्षियों को उनका बसेरा, 

लौटाएंगे इस नन्हें पक्षी की, 

तीक्ष्ण नेत्रों से टपकते गुस्से को, 

शांत कर दें |


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