नीले पहाड़ की तराइयों में
नीले पहाड़ की तराइयों में


एक बार मे निकल पड़ी थी
जांचने अपने जीवन की उँचाइयों को !
बड़ी दुविधा से जीवन की लड़ाई से निकल
मैं चल पड़ी थी एक नीले पहाड़ की तराइयों में !
पहाड़ यूँ था की पूरी दुनिया उसमे समायी हो
जित्ता भी आगे बढू लगता जैसे ले रहा अंगड़ाई वो !
इतनी बर्फीली ताजी ठंडी वायु
जीवन को थोड़ी और ज़िन्दगी दे देती मानो
पेड़ पौधों से सराबोर वादी
दिखलाती हमें कोई और ही सदी !
हम तो उसमे यूँ गुम हुए
कि पता ना चला कहा से कहा चले आये।
पूरी वादी घूमने पे भी मन ना भरा
मन किया की कहा शहरों के धुएँ के पीछे भागे
यही बस जाते है इस जीवनदायी
नीले पहाड़ के साये में !
फिर वापिस आने के इरादे के साथ
ज़िन्दगी की कठिनाइयों को झेलने की
ऊर्जा के साथ हम चल पड़े।