नई सुबह
नई सुबह
सड़कें सूनी, गली मौहल्ले सूने, वीरानगी ने आँचल फैलाया,
एक छोटे से वायरस की बिसात तो देखिए!
कोरोना नाम से पूरे देश को डराया।
अपनों से अपनों की दूरी वैसे ही कहाँ कम थीं!
इस मास्क ने तो पहचानना ही बंद करवाया।
जहाँ देखो वहाँ मौतें हैं।
ऑक्सीजन के अभाव में बिलखते अपने हैं।
कहीं दो जून की रोटी को,
तो कहीं अस्पताल में....न मिलने वालें बिस्तर को,
तड़पते अपने हैं।
चारों तरफ खौफ का मंजर है।
अपनों से दूरी ही समस्या का हल है।
इस बदलते परिवेश में....
हिम्मत को औज़ार बनाना होगा।
'गो-कोरोना-गो' की मुहिम छेड़,
उस दुष्ट को जड़ से भगाना होगा।
एक आस मन में जगानी होगी
विश्वास की घड़ी बढ़ानी होगी।
घर में रहकर सुरक्षित रहकर
वायरस पर फतह पानी होगी।
फिर....!
फिर से नया सवेरा होगा।
फिर से ये शाम गुनगुनाएगी।
गली-मुहल्लों में देखो,
जल्दी ही रौनक लौट आएगी।
बिट्टू-बबली की आवाजें,
घर- घर से सुनाई दे जाएगी।
सब्जीवाले, दूधवाले से, मुनिया.. फिर बतलाती नजर आएगी।
वीरान हुए घरों में फिर...रौनक लौट आएगी।
गो-कोरोना-गो की आवाजें हर घर से सुनाई दे जाएंगी।
बुलंद रहे गर हौसले हमारे...
ये महामारी जल्दी ही मिट जाएगी।
देखिएगा बच्चों की महफिल जल्द ही फिर जम जाएगी।
हर तरफ खुशियाँ ही खुशियाँ होंगी
खौफ की घड़ी बीत जाएगी।
हौसले, जज्बे और सुरक्षा के उपायों से,
दुनिया कोरोना से ये जंग भी जीत जाएगी।