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Meeta Joshi

Inspirational Others

4.5  

Meeta Joshi

Inspirational Others

मैंने जीना सीख लिया है।

मैंने जीना सीख लिया है।

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बिखर कर फिर संवर जाती हूँ मैं।

टूट कर फिर जुड़ जाती हूँ मैं।

भरे गले से भी अब, मुस्कुराहट बिखेर,

अदब से पेश आती हूँ मैं।

    तुम्हारी नाराजगी पर भी,

    आज सबके सामने, सहज हो जाती हूँ मैं।

अपने अधूरे ख्वाबों को, वक्त के अनुभवों से,

आज, सिल पाती हूँ मैं।

  अपनी मेहनत के पीछे छिपे, बच्चे की सफलता को,

  तुम्हारा नाम मिलने पर, हौले से आज, मुस्कुराती जाती हूँ मैं।

जीवन की आपाधापी में रिश्तों को निभाते-निभाते,

जानती हूँ मैं खुद को कहीं खो चुकी हूँ।

पर आज, अपने समर्पण से, सबके चेहरे पर खुशी देख,

तसल्ली ला पाती हूँ मैं।

    ऐसा नहीं है कि मैं कमजोर हूँ, निर्बल हूँ, कायर हूँ,

    मैं आज की नारी हूँ हर रिश्ते पर भारी हूँ। पर....

         'मैंने जीना सीख लिया है।'

जुड़ना, सहज होना, मुस्कुराना, ये तो मेरी खूबियां है।

जिन्हें अपने संस्कारों से प्रफुल्लित कर उसकी खुशबू,

अपनों में बिखेर पाती हूँ मैं।


चाहे चंद लोग इसे मेरा आधुनिक होना न माने, 

औरत होकर निज स्वाभिमान को दबाने का आरोप लगाएँ, 

मेरी कायरता से मेरा परिचय करवाएँ।

पर...... मैंने जीना सीख लिया है।

एक आम औरत हूँ, बच्चे के बढ़ने में,

              पति के प्यार में,

              परिवार के दुलार में,

              और अपने एक अधिकार में।

  खुश रहकर.....मैंने जीना सीख लिया है।



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