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ANKIT SHARMA (आज़ाद)

Abstract Tragedy

4.7  

ANKIT SHARMA (आज़ाद)

Abstract Tragedy

नाता

नाता

1 min
437


खुद को कई बार मैंने तोड़ कर देखा

बहुत लोगों से नाता जोड़ कर देखा

मिली शर्तें, बातें कोरी

प्यार को नफा नुकसान से सबने जोड़ कर देखा


मिले धोखे

मिली जिल्लत

हम फिर भी मुस्कुराए थे,

इल्जाम लेकर फक्र से

हम सर झुकाए थे

थी आस हमको इक अदद

कभी तो समझे जायेंगे

अपने प्यार से सबको

तब रूबरू कराएंगे

पर आईना मेरे दिल का, फोड़ कर देखा

मेरे प्यार को नफा नुकसान से जोड़ कर देखा

मिली शर्तें, बातें कोरी

बहुत लोगों से नाता हमने जोड़ कर देखा


काफिला साथ था मेरे ,

जब तलक कामयाबी थी,

हुजूम लोगों का पीछे था

अकड़ सब में रूआबी थी

अभी हारी हैं कुछ बाजी

तन्हाई साथ आई है,

मिली मुझको जमाने भर से

बस रुसवाई है

न कोई अब मुरीद मेरा

जो मुंह मोड़ कर देखा

खुद को कई बार मैंने तोड़ कर देखा

बहुत लोगों से नाता जोड़ कर देखा

मिली शर्तें, बातें कोरी

प्यार को नफा नुकसान से सबने जोड़ कर देखा


झूठ मैं कह नहीं पाया,

छुपाना मुझको ना आया,

सफेद दिखते हो स्याह चेहरे

तस्वीर वो गढ़ नहीं पाया

सबने अपनी सहूलियतों से 

मेरे सच को मरोड़ कर देखा

मैंने बहुतों से नाता जोड़ कर देखा

मिली शर्तें, बातें कोरी

मैंने बहुतों से नाता जोड़ कर देखा। 



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