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संजय असवाल

Abstract Inspirational

4.5  

संजय असवाल

Abstract Inspirational

मेरी शख्सियत...!

मेरी शख्सियत...!

2 mins
283


मेरी शख्सियत इतनी आसान नही 

कि हर कोई इसे पढ़ सके 

इसे गढ़ने में वर्षो लगे हैं

इसे समझने में भी वक्त लगेगा

ना तुम्हारे पास वक्त है

ना तुम पढ़ सकोगे मुझे। 


रात दिन खपाया है मैंने

कड़ी धूप में खुद को तपाया है मैंने

खुद को पढा है मैंने 

खुद में उतरने से पहले

जिंदगी की कठिन राहों में

क्या संग चल सकोगे मेरे।


जिंदगी इतनी आसान नही 

जितनी दिखती है हमें 

कई बार इससे गुजरा हूँ मैं 

इसके हर बारीकी में उलझा हूँ मैं,

समय दिया सीने से लगाया इसे

अपने हाथों से इसे गंवाया नही मैंने।


मेहनत की है जिंदगी को समझने में

तिनका तिनका जोड़

हर कड़ियों को जोड़ा है मैंने

कोई रूठा तो उसे मनाया

हर अनसुलझे धागों को 

बड़े बेसब्री से सुलझाया है मैंने। 


जानता हूँ हर पल कीमती होता है

हर छोटे बड़े का भेद होता है

उन्हें संभाल कर 

सीने में संजोया है मैंने 

जब भी पुकारा किसी ने 

साथ सबके नजर आया हूँ मैं। 


हर पल बड़ी मशक्कत से निभाता हूँ

सुख हो या दुःख 

समय का साथी बना 

पास बिठाता हूँ मैं 

कभी रोया काँधे पर सर रखकर इसके

कभी कस कर गले लग जाता हूँ मैं। 


आने वाले कल के लिये,

मैने आज को जिया है

रातों को आँखों में ले कर 

अकेले चला हूँ मैं

सपने देखे बंद आँखों से हज़ारों मैंने

टूटते सपनों में भी गुनगुनाया हूँ मैं। 


मुरझाये चेहरों से कसक होती है

अपनो को देख

खुद मुरझाया हूँ मैं

टूटा हूँ कई बार

रोया हूँ कई बार

फिर गिर कर खुद ही संभल आया हूँ मैं। 


बेशक जिंदगी एक खुली किताब है

पढ़ो चाहे तुम कितनी बार मुझे

मैं इतनी आसानी से समझ आता नही

शख्सियत ही कुछ अलग है मेरी

जैसा दिखता हूँ 

वैसा ही हरदम लिखता हूं मैं। 


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