प्रेम
प्रेम
प्रेम एक ऐसा एहसास है,
जो दिल को खुशी से भर देता है।
यह एक ऐसी भावना है,
जो मन को शांति प्रदान करती है।
प्रेम में कोई शर्त नहीं होती है,
यह बिना किसी मतलब के होता है।
यह एक ऐसा रिश्ता है,
जो दो दिलों को एक कर देता है।
प्रेम में कभी नाराजगी नहीं होती है,
यह हमेशा खुशी और उल्लास से भरा होता है।
यह एक ऐसा एहसास है,
जो जीवन को सुंदर बना देता है।
लेकिन प्रेम में संतुलन होना चाहिए,
अत्यधिक प्रेम भी हानिकारक होता है।
प्रेम उतना ही करना चाहिए,
जिससे हृदय खुश रहे और मस्तिष्क को मानसिक पीड़ा ना हो।
अति प्रेम का परिणाम
अति प्रेम में अक्सर लोग अंधे हो जाते हैं,
और वे अपनी बुद्धि का उपयोग नहीं कर पाते हैं।
वे दूसरों के लिए कुछ भी कर सकते हैं,
और उनकी कोई मर्यादा नहीं होती है।
अति प्रेम में लोग अक्सर धोखा खाते हैं,
क्योंकि वे दूसरों की बातों पर आसानी से विश्वास कर लेते हैं।
वे अपने प्रियजनों के लिए कुछ भी कर सकते हैं,
और उनकी कोई सीमा नहीं होती है।
अति प्रेम में लोग अक्सर मानसिक पीड़ा का शिकार होते हैं,
क्योंकि वे अपने प्रियजनों की तलाश में रहते हैं।
वे अपनी खुशी को दूसरों पर निर्भर करते हैं,
और वे अपना जीवन बर्बाद कर देते हैं।
संतुलित प्रेम का परिणाम
संतुलित प्रेम में लोग समझदार होते हैं,
और वे अपनी बुद्धि का उपयोग करते हैं।
वे दूसरों के लिए कुछ भी करते हैं,
लेकिन उनकी कोई सीमाएँ होती हैं।
संतुलित प्रेम में लोग धोखा नहीं खाते हैं,
क्योंकि वे दूसरों की बातों पर आसानी से विश्वास नहीं करते हैं।
वे अपने प्रियजनों के लिए कुछ भी करते हैं,
लेकिन वे अपनी सीमा जानते हैं।
संतुलित प्रेम में लोग मानसिक पीड़ा से मुक्त होते हैं,
क्योंकि वे अपने प्रियजनों की तलाश में नहीं रहते हैं।
वे अपनी खुशी को दूसरों पर निर्भर नहीं करते हैं,
और वे अपना जीवन सुखमय बनाते हैं।