हिन्दी
हिन्दी
हिंदी की कहानी अंग्रेजी में सुनाते हो।
फिर अंग्रेजी में रौब जताते हो।
न हिंदी अच्छे से बोल पाते हो
न अंग्रेजी ही अच्छे से सुनाते हो।
रोज यूं ही दिखावे की दुकान लगाते हो।
ग्राहक बेचारे कुछ ना बोले
तंग आकर फिर एक दिन
समझदारी से हल निकाले।
हिम्मत करके बोल ही डालें।
हिंदी आपकी समझ से परे है
अंग्रेजी तो गड्ढे में गिरे है।
क्यों झमेले में पड़े हो,
किसका रौब किस पर झाड़ते हो।
जिसके गुलाम रहे दो सौ साल
उसकी बैलगाड़ी अभी-भी हाँकते हो।
मां के पैर छू लो मौसी को गले लगा लो
पड़ोसन को क्यों कर सिर पर चढ़ाते हो।
एक बार चढ़ाया था 200 साल तक सर दर्द बनी रही कभी तबला तो कभी सारंगी बनाती रही।
अब क्या हारमोनियम बनने का इरादा है।
अंग्रेजी बोलकर फूल रहे हो
अब अगर भरे तो गुब्बारे की तरह
आसमान में नजर आओगे।
याद रखना फिर कभी नीचे न उतर पाओगे।
क्यों लुटिया डुबो रहे हो।
अपनी थाली में ही अनगिनत छेद बना रहे हो।
सजी सजाई थाली नजर नहीं आती
अपनी नई थाली बना रहे हो।
छिद्रों को भरकर खोखलापन दिखा रहे हो।
देश की दिव्यता को यूं ही झूठला रहे हो।
वेदों की भूमि पर कहां कंकड़ों का घर बना रहे हो।
ओजस्विता में क्यों कर्कश्ता मिला रहे हो।
वास्तविकता को पहनो वास्तविकता को अपनाओ दिखावे के चश्मे से यूं न धुंधला बनाओ।
देश का मजबूत धरातल है।
कई फीट गहरी वैज्ञानिकता की नींव पर बैठा है।
जिस पर गगनचुंबी विचारों का मजबूत आशियाना बना है ।
संस्कार, विज्ञान और संस्कृति से गले तक भरा है।
फिर सोने को पीतल से क्यों ढँक रहे हो।
हिंदी का हीरा जड़ित मजबूत किला
क्यों कांच की परतों से इसकी शोभा घटा रहे हो।
घर की मुर्गी दाल बराबर कहकर अपनी ही खिचड़ी पका रहे हो।
हिंदी हो हिंदी को सम्मान दो।
मेहमान को मेहमान ही रहने दो।
अतिथि देवो भव।
किंतु घर का सम्मान सर्वोपरि हो।