नारी
नारी
नारी तू नारायणी तू,
काली दुर्गा भवानी तू!
सृष्टि का है मूल तू,
ज्ञान का भंडार तू!
उठा कदम बढ़ा कदम,
तू चीर दे गमों के तम!
सह न अब प्रहार कर,
समझ न तू खुद को कम!
हुंकार भर प्रतिकार कर,
सैयाद का संहार कर!
न कर सहन अपमान का,
तू है असास आसमान का!
तुझ पे टिका है कल तेरा,
तू मान अब कहना मेरा!
गमों का दौर गुज़र गया,
खुशियों को है इंतज़ार तेरा!
है कठिन डगर मगर,
कदम बढ़ा तू मत ठहर!
दिन हो या दोपहर
बढ़े चलो हर पहर!
