नारी
नारी


नारी तुम सृष्टि विधाता हो,
जीवन की परिभाषा हो।
सब जग का तुम सार हो,
तुम ही जीवन आधार हो।
तुम सर्व जगत में व्याप्त हो,
जगत जननी अवतार हो।
त्याग, ममता, की सूरत हो,
निर्मल, शीतल एक मूरत हो।
बचपन का प्यार दुलार हो,
बाल काल का ज्ञान हो।
यौवन का आकर्षण हो,
जीवन का तुम ही समर्पण हो।
ममत्व लिए एक दर्पण हो,
सर्वदा परीक्षा को अर्पण हो।
नारी करुणा का सागर हो,
जीवन रस की एक गागर हो।
संबंधों की मिसाल हो,
अमित और विशाल हो।
दुर्गा, काली अवतार हो,
दुष्ट दलन संघार हो।
व्योम -व्योम में व्याप्त हो,
रोम रोम में ज्ञात हो।