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Sadhna Mishra

Tragedy

4  

Sadhna Mishra

Tragedy

वीर जवान और त्योहार

वीर जवान और त्योहार

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337



अबकी त्योहारों पर आऊंगा नहीं

सजन घर आया सुन पाऊं या नहीं।


अम्मा बांध देना लड्डू और मठरी

देना अपने हाथों से मुझको एक गठरी।

ना जाने फिर आ पाऊ या नहीं।


अबकी त्योहारों पर आऊंगा नहीं

सजन घर आया सुन पाऊं या नहीं।


बाबू तुम्हारी कलम दिल के पास रखी है,

जैसे दिल में तुम्हारी बात रखी है।


ना जाने फिर मिल पाऊं या नहीं

 लाल घर आया सुनता हूं या नहीं।


अबकी त्योहारों पर आऊंगा नहीं

सजन घर आया सुन पाऊं या नहीं।


बहन रख देना राखी देखभाल के

बांध लूंगा उसको मैं खुद संभाल के।

सुनी कलाई लेकर रह पाऊंगा नहीं।


अबकी त्योहारों पर आऊंगा नहीं

सजन घर आया सुन पाऊं या नहीं।


सुनो प्यारे भाई हंस कर दो विदाई

देखो सरहद से आवाज है आई

पीठ दुश्मन को दिखाऊंगा नहीं।


अबकी त्योहारों पर आऊंगा नहीं

सजन घर आया सुन पाऊं या नहीं।


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