बरखा और हम
बरखा और हम
बरखा तेरे आने से मन मोर खिल जाता है,
सूखी हुई धरती को पारस मिल जाता है।
श्रमिकों मजदूरों को बड़ा धैर्य दिलाती हो
बरखा की बूंदों से धरा स्वर्ग बनाती हो।
बरखा तेरे आने से मन मोर खिल जाता है
सूखी हुई धरती को पारस मिल जाता है।
गर्मी की पीड़ा को तुम पल में हटाती हो
अपनी शीतल छाया से हर दिल में समाती हो।
बरखा तेरे आने से मन मोर खिल जाता है
सूखी हुई धरती को पारस मिल जाता है।
हरियाली की चुनरी से सारा जगत सजाती हो
हलधर पशु पक्षी में सुंदर भाव को जगाती हो।
बरखा तेरे आने से मन मोर खिल जाता है
सूखी हुई धरती को पारस मिल जाता है।
