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Sadhna Mishra

Abstract

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Sadhna Mishra

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मंजिल

मंजिल

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हिंदुस्तान की धरती को आज बंजर पाया 

हर शख्स को मंजिल के जुनून में तर-बतर पाया ।


देखने निकली थी राहें मंजिल मगर ,

हर मोड़ पर बिखरा ख्वाब ही नजर आया ।


उजाले की तलाश में गांव छोड़ आए मगर ,

मायूस शहर गांव की तलाश में नजर आया।।



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