बोझिल पल
बोझिल पल
अलमारी में रखे पुराने खतों
को रुठकर जला दिया होगा।
जख्म ताजा कहीं से लगा होगा।
कर अठखेलियां शब्दों से
मन का द्वार खुल गया होगा ।
जख्म ताजा कहीं से लगा होगा
गलियों में ख्वाबों की खो गया होगा ।
जख्म ताजा कहीं से लगा होगा
अंधेरों को अपना घर कर गया होगा।