नारी तेरे रूप अनेक
नारी तेरे रूप अनेक
ना जाने कितने असंख्य रूप है तेरे
कभी दुर्गा कभी काली कभी सरस्वती तो कभी पार्वती
कभी मां, बहन तो कभी बेटी तो कभी भाभी
कभी पत्रकार, अभिनेत्री तो कभी डॉक्टर कभी इंजीनियर
तो कभी पायलट तो कभी पुलिस अधिकारी
हैं असंख्य रूप नारी तेरे
ऐसे ही असंख्य गुण है तेरे
कभी प्यार, ममता, वात्सल्य तो कभी शालीनता आदि
ऐसे ही असंख्य गुण हैं तेरे
ऐसी नारी को कोटि-कोटि वंदन है
ऐसी नारी का कोटि-कोटि अभिनंदन है।।
