The Stamp Paper Scam, Real Story by Jayant Tinaikar, on Telgi's takedown & unveiling the scam of ₹30,000 Cr. READ NOW
The Stamp Paper Scam, Real Story by Jayant Tinaikar, on Telgi's takedown & unveiling the scam of ₹30,000 Cr. READ NOW

shruti chowdhary

Tragedy

3  

shruti chowdhary

Tragedy

नारी हूँ, लाचार नहीं

नारी हूँ, लाचार नहीं

1 min
850


मैं स्त्री हूँ ,मैं नारी हूँ

मैं काली हूँ,मैं दुर्गा हूँ

मैं फुलवारी हूँ,मैं दर्शन हूँ

मैं बेटी हूँ, मैं माता हूँ

मैं बलवानो की गाथा हूँ

मैं श्रीमद्भागवत गीता हूँ

मैं द्रौपदी हूँ,मैं सीता हूँ


पुरुषो की इस दुनिया ने

मुझे यह कैसी निरस्ता दिखलाई

कभी जुए में हार गए,

कभी अग्नि परीक्षा दिलवाई

कलयुग हो या सतयुग हो

इलज़ाम मुझी पर आता है

हर रिश्ता झूठा बन जाता है


क्यों घनी अँधेरी सड़को पे

चलने से मन घबराता है

मैं डरती हूँ ,मैं मरती हूँ

मैं सफर अकेले करती हूँ

डर का साया पीछा करता है

तुच्छ प्राणी समझकर

मेरी इज्जत को खींचता है 


नारी के सम्मान को समाज ने 

तार-तार सा कर डाला है

मर्यादा के आँचल को 

फिर से जर्जर सा कर डाला है 

मारा है, पीटा है,सताया है

हर पल धोका दिया है 

जिंदगी एक मजाक ,

एक पहेली बन के जलती है


कोई न अपना कहलाया

न मेरा कोई रिश्ता ,

न मेरा कोई घरोंदा

जिससे तुमने हाथ बढ़ाया

उसने अरमानों को तोड़ दिया

मेरी सादगी, मेरे संस्कार

सब को आंसुओं का भंवर बना दिया


मेरे बलिदानों को निचोड़ दिया

मेरे सपनो को भुला दिया 

रिश्तों की दरारों को कैसे भरूं

पैसों की अभाव में ,खन खन में 

मुझे अकेला छोड़ दिया

सन्नाटो में चीखती रहती हूँ 

अपनी खोयी हिम्मत को तलाशती हूँ


जब तक है जान ,सेवा करती हूँ

आत्मसम्मान को छुपाती हूँ

चुप रहकर सोचती हूँ

कमजोर नहीं मेरा वजूद

जो छीन ले ये दुष्ट जाती

नारी का अस्तित्व महान है

जब तक स्वयं पर विश्वास

सूरज की तरह विद्यमान है!



Rate this content
Log in

More hindi poem from shruti chowdhary

Similar hindi poem from Tragedy