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ना कोई मंजिल है.....

ना कोई मंजिल है.....

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ना कोई मंजिल है, ना कोई पता

बस एक चाहत है, दिल में लिये हुए।


ना कोई गिला शिकवा, ना कोई खता

आरजू है उसे पाने की, क्या यही प्यार है ?


मोहब्बत क्या होती है ? दिल से पूछो यारो

वह मिलेगी अरमान है, राहत है, सुकून है।


एक दिन वह मिलेगी जरूर दिल कहता है

आरजू है उसे पाने की, क्या यही प्यार है ?


पास न होते हुए भी, आहट उन के आने की

बेसुमार मोहब्बत है, उन्हें पता हैं भी कि नहीं ?


बस धुंधली सी आशा है, उनसे मिलने की

आरजू हैं उसे पाने की, क्या यही प्यार है ?


कैसे समझाऊँ उसे ?

जाने वाले कभी लौट के नहीं आते


पंछी घौसला तो बनाते हैं मगर,

बेमौसम बदल जाते हैं !


गुजरा हुआ पल फिर से नहीं आता

टूट हुआ दिल नहीं लुभाता क्या करें

पगला दिल हैं कि मानता ही नहीं !


इंतजार-इंतजार सिर्फ इंतजार, यह कैसा ?

कब, कैसे मिलेंगे ? किस मोड़ पर कौनसे !


हो सकता है, मिलेंगे भी नहीं हम फिर से

क्या करें ? पागल दिल हैं कि मानता ही नहीं !


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