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Paramita Mishra

Drama Others

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Paramita Mishra

Drama Others

न जाने मैंने क्या ग़लती की

न जाने मैंने क्या ग़लती की

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तेरी कसम, सच्ची मैंने कुछ ना किया,

अम्मा, कितना बोला, बहुत समझाया,

पता नहीं आज अम्मा को क्या हुआ।

फूट-फूट के रो रही थी,

मुझे छाती में जकड़ भी ली थी।


मेरी तो सांसे फूल रही हैं,

पुछा अम्मा क्या हुआ,

इतना तू क्यों रो रही है ?


साथ ही साथ दादी आई,

छोटी चाची चहकते हुए सुनाई,

पड़ोस की काकी, उसकी बेटी बेला,

लालू की मम्मी और वो बाजा वाली शीला।


मैं तो कुछ सोच ना पाती,

न जाने मैंने ऐसी क्या गलती की थी!

इतने लोगों को देख जो ली,

ओह माँ ये पेट में कैसा दर्द,

और ये क्या लाली ?


दादी और वो ताई बोली अम्मा को,

"अरे ओ लाजो,

पढ़ना, लिखना बहुत हो गया,

अब तो बेटी को काम सीखा,

घर के काम ही आयेगी,

बुरी संगत में ना आयेगी,

काली पड़ गयी चमड़ी इसकी

गोरी चीट्टी बन जाएगी।


तभी ना कोई लड़का देखेगा,

तभी ना कोई बिहाएगा,

अच्छे से इसको सीखाना,

सिलाई, कढ़ाई, बुनाई,"

और दांत निकालकर बोली,

"हीं हीं हीं हीं...

अभी ना,

लड़की तेरी बड़ी हो गयी।"


मैं तो बस देखती रह गयी,

मैं तो बस देखती रह गयी,

ये क्या कह रही हैं ये ताई,

जरूर ये बुढ़िया सठिया गयी।


अगले महीने परीक्षा है मेरी,

करनी है मुझे कितनी तैयारी,

अंग्रेज़ी का बस एक पाठ था,

सुंदर कांड का वो बाकी कथा।


थोड़ा-सा खून ही तो गया,

तो क्या,

ओह, ये रह-रह के पेट में दर्द क्या !

स्कूल में जब हम खेल खेलती,

गिरती, पड़ती चोट भी लगती।


कितने खून बह गये,

पर अम्मा कभी ना इतना रोती,

हाँ थोड़ा डांटती थी,

पर आज तो वो डांट ना रही है,

मुझे नहीं पता मैंने क्या ग़लती की है।


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