स्त्री हो तुम डरती हो, जब कभी माहवारी से लड़ती हो। स्त्री हो तुम डरती हो, जब कभी माहवारी से लड़ती हो।
आज तो वो डांट ना रही है, मुझे नहीं पता मैंने क्या गलती की है...! आज तो वो डांट ना रही है, मुझे नहीं पता मैंने क्या गलती की है...!
इस अपवित्रता से ही वो माँ बनती है इस अपवित्रता से ही वो माँ बनती है
उस आदम के पास जो शुद्ध अशुद्ध में फर्क नहीं जानता था। उस आदम के पास जो शुद्ध अशुद्ध में फर्क नहीं जानता था।