इश्क को जितना छुपाओ ये उतना मचलता है , ना जाने क्यूँ बार - बार हसरतों का दौर चलता है ? इश्क को जितना छुपाओ ये उतना मचलता है , ना जाने क्यूँ बार - बार हसरतों का दौर चल...
उस आदम के पास जो शुद्ध अशुद्ध में फर्क नहीं जानता था। उस आदम के पास जो शुद्ध अशुद्ध में फर्क नहीं जानता था।