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Paramita Mishra

Romance

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Paramita Mishra

Romance

अधूरी

अधूरी

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अधूरी मेरी चाय की प्याली

रिमझिम वर्षा देख बोल पड़ी

न जाने कब से अकेले बैठी

न जाने किसको ढूंढती रहती।


वही चाय, बिस्कुट

और वही प्याली

पर ये एहसास भी

आज लगता अधूरा।


मेरा कुछ शायद खो गया है

याद में खो गयी शायद कहीं

पहली बारिश की बूंद-बूंद

अब तन-मन को ना मचलाई।


बारिश की बूंदें चेहरे पे थी

और पता नहीं में कितना रोई।

तुम होते भाँप लेते

मेरे आँसू और पानी की चोरी

तेरे बिना सच, मैं कितनी अधूरी।


राहों पे थे फूल मगर

मुझे तो सिर्फ तुम दिखे

चलने के नाम पर मेरे कदम

आगे ना बढ़ सके।


सातों रंग की दुनिया में

सारे रंग फीके लगे

सारे रंग छोड़ बस

आपके रंग में रंगे।


एक ही सपना बाकी

अब माँग हो सिन्दूरी मेरी

आप ही सब कुछ है मेरे

आपके बिना में अधूरी।

आपके बिना में अधूरी।


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