उड़ने का हुनर
उड़ने का हुनर
जब 'कबूतर' दिखता है,
मन का पाखी फड़फड़ाने लगता है
आँखों की पुतलियां चौड़ी हो जाती है।
जाल से घबराना मुझे विरासत में मिला,
आंखें बंद कर दुबक जाना मैंने कबूतर से सीखा।
घड़ी वही 'बिल्ली' है जिससे मैं भी आंखें बंद कर लेता हूँ
इसकी टिक-टिक मेरी उम्र की किरचें बिखरने में कामयाब है
मुझे कंकड़ भी ललचाते है और दाने भी
मैंने गले में दबा रखा है इन्हें,
घोसले में ले जाकर उगलने के लिए ।
यह कौवे वही 'सियासतदान' है
जो मेरी गर्दन काटकर खा जाएंगे
कंकड़ भी, दाने भी ।
बिल्ली के खा जाने से पहले, कौवों से बचकर,
गले में दबा कर फिर उगलने की कला सिखानी होगी उन्हें
जिन्हें उड़ने के हुनर भी नहीं आते है ।