नियम
नियम
ईश्वर ने तुम्हें बनाया है
तुम्हारे बन जाने से
मुझे बनना पड़ा,
ईश्वर ने नहीं रचे
प्रतिमान, यम, नियम
प्रेम स्थापन के लिए दिया,
भाव परोसने के लिए,
सब कुछ अपने विपरीत मान से
परिवर्तित होकर ढह गए
'मुझे बनना पड़ा'
का मान परिवर्तित होकर रहा
'मुझे आदतन बनाया गया'
चाक की मिट्टी का भाग्य
न चाक को पता
न मिट्टी को,
फूटे घड़े को पता नहीं
किस मिट्टी में होना है लीन
न दीये को पता है
किस आग के साथ जलना है
ईश्वर नियम बनाता तो
मनुष्य क्यों झुकता
वह सिर्फ तोड़ता।