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Harish Bhatt

Classics

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Harish Bhatt

Classics

न जाने क्यों अकड़ते हैं लोग

न जाने क्यों अकड़ते हैं लोग

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न जाने क्यों अकड़ते है लोग

जब मालूम होता है सभी को

जाना है एक दिन इस जहां से

प्यार से जीने में क्या जाता है

अकड़ से क्या मिल जाता है


इतने अनजान भी नहीं लोग

बचपन में ही जान जाते है

प्यार से मिलता है प्यार

अकड़ से मिलती है डांट


तब भी न जाने कहां से

जुबान में आ जाती है खटास

इतिहास की बात करता नहीं

खुद देखा है मैंने


कल तक जिन्हें अकड़ते हुए

रूखसत हो गए जहां से

अब वो रहते प्यार से

करते रहते उन्हें भी याद

जाने वाले तो चले जाते हैं


रह जाती है उनकी यादें

जो न पल-पल रूलाती है

जो न हंसाती है कभी

ऐसा भी क्या जीना

जाने के बाद कोई

भूल से भी न रखे याद


जब होता हो हर काम प्यार से

तब क्यों रहा जाए अकड़ के

न जाने कब किस पल

चले जाए जहां से


लोग कहते हैं

तुम जियो हजारों साल

मैं मानता हूं

हम जिए कुछ ही साल पर

याद रखें लोग हजारों साल।


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