न भटकूँ इस जीवन भंवर में
न भटकूँ इस जीवन भंवर में
भगवन तुम और मैं
मैं समर्पित सदा रह सकूँ,
सादर तुम्हारे चरण कमल में।
निशदिन ध्याऊँ, वन्दन करूँ,
हे ईश ! मेरे सुमिरू तुम्हें मैं।
आशीष में वरदान मिले यह,
न भटकूँ इस जीवन भंवर में।
तुम पर विश्वास से हर दिन जिया है,
एक और एक ग्यारह बने चलो तुम और मैं।
