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Noor N Sahir

Romance

2.5  

Noor N Sahir

Romance

मज़ा आ गया

मज़ा आ गया

1 min
324


बहकी बहकी हवा ने तेरे चेहरे से, 

ऐसे चुनरी उड़ाई मज़ा आ गया,


ग़मज़दा आँखों को तेरे चेहरे की जब, 

हो गई मुँह दिखाई मज़ा आ गया।


गुल चमन गुल मगन महका-महका बदन,

चाँद सूरज से मिल कर बनी इक किरन,


अपने आँचल में तारे लपेटे हुए,

सामने जब वो आई मज़ा आ गया।


फिर मेरी ज़िन्दगानी हसीन हो गई,

फिर मेरी हर कहानी मुकम्मल हुई,


उस ने झुकती नज़र यूँ मेरे सामने,

धीरे-धीरे उठाई मज़ा आ गया।


रात भर जाग कर तुझ को सोचा किए,

चाँद तारों में तुझ को ही ढूंढा किए,


करवटें लेते लेते सुबह जब हुई,

तूने सूरत दिखाई मज़ा आ गया।


मेरी तक़दीर फ़ौरन बदल सी गई,

हाथ की सब लकीरें चमक सी गईं,


उस ने अपनी हथेली मेरे हाथ से,

इस तरह से मिलाई मज़ा आ गया।


मेरी ग़मगीन दुनिया हुई खुशज़दा,

उस से मिल कर मुझे वो सुकून है मिला,


जब से वो मेरी क़ुर्बत में रहने लगी,

ज़िन्दगी मुस्कुराई मज़ा आ गया।


दो बदन एक जान एक जान दो बदन,

कितनी अच्छी थी वो सर्दियों की अगन,


रात भर एक दूजे से लिपटे रहे,

फेंक दी फिर रज़ाई मज़ा आ गया।


देखते-देखते वो क़रीब आ गई,

मुझ को पा कर वो जैसे जहाँ पा गई,


अपने हाथों से उस ने मेरे हाथों में,

अपनी दुनिया थमाई मज़ा आ गया।


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