मयखाने के बाहर
मयखाने के बाहर
बैठे हैं मयखाने के बाहर
दिल में कशमकश लिए
बहाना तो कुछ सुझा ऐ साकी
खुशी में, या गम में पिए।
शाम आधी गुजर चुकी है
रात खड़ी दस्तक दिए
सवाल ये जगाएगा देर तक
हम आज जिए, या ना जिए।
बैठे हैं मयखाने के बाहर
दिल में कशमकश लिए
बहाना तो कुछ सुझा ऐ साकी
खुशी में, या गम में पिए।
शाम आधी गुजर चुकी है
रात खड़ी दस्तक दिए
सवाल ये जगाएगा देर तक
हम आज जिए, या ना जिए।