मकान तो बना लिया
मकान तो बना लिया
मकान तो बना लिया ,परदेस में हमने,
घर ,पर अब भी तलाश कर रहे हैं.
मिल जाए सुकून माँ के आंचल से दूर,
इसी की उम्मीद, इसी की आस कर रहे हैं.
घर बसाने, जो घर छोड़ आए थे अपना,
उसी घर का सपना अब तक बुन रहें हैं.
वो क़ुर्बत, वो रिवायत, मेरे शहर की,
अजनबियों से फ़िज़ूल ही उम्मीद कर रहे हैं.
