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Nikhil Katyal

Others

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Nikhil Katyal

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हम अपना वतन यूं छोड़ आये

हम अपना वतन यूं छोड़ आये

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हम अपना वतन, यूं छोड़ आये,

खुदी से कोई नाता, जैसे तोड़ आये

मन लगता नहीं इन तंग गलियों में अब,

वो खिलता चमन, हम छोड़ आये


जलेंगे दीये सिर्फ दीवारों पे आज,

किसी के दिल में अंधेरा, हम छोड़ आये

राह तके मेरी मां, दहलीज पे खड़ी,

उसकी आंखों को तरसता, हम छोड़ आये


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