इम्तेहान
इम्तेहान

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जिंदगी मेरा इम्तेहान लेना नहीं भूलती,
हर मोड़ पर सवाल खड़े मिलते हैं ।
लगे कि मुफीद हवाएं चलेंगी अब,
कमबख्त कुछ ही पत्ते हिलते डुलते हैं।