Nikhil Katyal

Others

5.0  

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इम्तेहान

इम्तेहान

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जिंदगी मेरा इम्तेहान लेना नहीं भूलती,

हर मोड़ पर सवाल खड़े मिलते हैं ।


लगे कि मुफीद हवाएं चलेंगी अब,

कमबख्त कुछ ही पत्ते हिलते डुलते हैं।


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