Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Rajesh Singh

Comedy Classics

4  

Rajesh Singh

Comedy Classics

मुनिया का अक्षर ज्ञान

मुनिया का अक्षर ज्ञान

1 min
367


ध्वनि समूह का उच्चारण 

जो एक सांस में हो जाए 

अक्षर कहलाए।

यही बात मुनिया को समझ 

ना आए।


भला यह अक्षर कैसे समझ में 

आए।

गुरुजी डंडा पीट पीट

अक्षर का अर्थ बताए 

खीझ खीझ।


गुरुजी चश्मा करत ठीक 

श्याम पट्ट पर बताए लिख 

लिख।

कंठ तले दातों तले जब स्वाश

निकलती है।


तब वह ध्वनि स्वर अक्षर की

अभिव्यक्ति होती है। 

मुनिया सिर है खुजलाए

गुरु जी की बात समझ में 

नहीं आए।


गुरुजी चश्मा ठीक करत

चिल्लाए।

अक्षर अब फिर से रहे बताऐ

जब कोई बात एक दूजे से

करत हैं।


शब्द का प्रयोग करत है

वह अभिव्यक्ति अक्षर

 कहलावत है।

मुनिया माथा पर हाथ पीट 

अक्षर नाम से रहत खीझ।


अब गुरुजी भी डंडा पटकत 

खीझ खीझ।

किताब का पन्ना पलटे चश्मा

करत ठीक ठीक।

अक्षर अ आ क ख ग कहलाते

 है।

गुरुजी हमे यह अक्षर समझ

नहीं आते है।

गुरुजी घूर कर मुनिया को देय

बताए।


मुनिया डर श्याम पट्ट पर देय

ध्यान लगाए।

अक्षर के दो रूप भी होते है।

लिखित और मौखित स्वरूप

 भी होते है।


अक्षर बोली भाषा का बुनियाद 

भी होत है।

मुनिया अब खड़े होए हमे

बताओ।


अक्षर का क्या अर्थ हमे 

समझाओ।

मुनिया डरत देय बताए

जो घट सके ना नष्ट हो

सके।


वह अक्षर कहलाए

गुरुजी का सीना पुलकित

 हो गया।

उनका मेहनत वसूल हो

 गया।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Comedy