मुंबई की सड़कें
मुंबई की सड़कें
हर सुबह जब निकलती हूँ घर से
दिन की बड़ी ख़ूबसूरत शुरुआत होती है।
यूँ तो लगता है मौसम सुहाना,
पर सोच कि हालात सड़कों की,
हालत ख़राब होती है।
और जब आया हो मानसून मुंबई में
हर सड़क की कुछ अनोखी ही बात होती है
हर रोज़ अचंभे से रूकती हैं साँसे
एक क़दम सड़क,
दूजे क़दम गड्डे में छपाक होती है।
सड़क में ये बड़ा गड्डा या गड्डे में सड़क,
कभी कभी तो लगता है कि
क्या यहीं पर आके गिरते हैं बम्ब गोले
क्या यहीं से अंतरिक्ष यान की उड़ान होती है।
यही हाल रहा तो कैसे होगा गुज़ारा
जब भी निकलो अपने वाहनों को लेके
शरीर की हर हड्डी कुछ ना कुछ बोलती है
और उस पर ख़ामोश थी जो अब तक मेरी कार
उसमें भी सैकड़ों अंजर पंजर की आवाज़ होती है।