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मुक्तक

मुक्तक

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सतत मैं पास हूँ तेरे,

हृदय में नित धड़कती हूँ

सदा द्युतिमान रहती हूँ,

तड़ित सी जब कड़कती हूँ।


प्रणय की हूँ सघन बदरी,

अमापित नीर वाही मैं..

सतत जल से भरी रहती,

निरन्तर जब बरसती हूँ।।


सतत जो पास में रहता,

वही दिल में धड़कता है।

चपला हिय चमक उठती,

जब पावस घन गरजता है।।


प्रणय रत्नाकर प्रणयी

अथाह उल्लास युगलवर में,

उर्मियाँ ज्वार प्रणयन की

दाम्पतिरस सरसता है।।


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