मुक्तक
मुक्तक
जब इश्क होता है तो अल्फाज शायरी बन जाते हैं
मुहब्बत की पाक गजल लब खुदबखुद गुनगुनाते हैं
नदियों सा दौड़ने लगता है इश्क नस नस में लहू बनके
तोड़कर हर दीवार एक दिन दो दिल मिल ही जाते हैं।
जब इश्क होता है तो अल्फाज शायरी बन जाते हैं
मुहब्बत की पाक गजल लब खुदबखुद गुनगुनाते हैं
नदियों सा दौड़ने लगता है इश्क नस नस में लहू बनके
तोड़कर हर दीवार एक दिन दो दिल मिल ही जाते हैं।